आजीविका मिशन के समूह मूंग उड़द की खेती कर कमा रहे लाभ

कृषि विज्ञान केंद्र दमोह के अधिकारियों द्वारा अनेक ग्रामों का भ्रमण कर किसानों को प्रगतिशील खेती की दी जानकारी
मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा करवर जैंस की नीति के तहत आदिवासी समूहों को जवाहर नेहरू कृषि विश्व विद्यालय जबलपुर के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र दमोह के द्वारा जबेरा जनपद के ग्राम ककरेंटा, देवतरा, मुड़ेरी, बंदरकोला, धनेटा, हरदुआ, कुसमी, सलैया बड़ी आदि ग्रामों के आदिवासियों द्वारा जायद की फसल के रूप में मूंग,उड़द की खेती कर अपनी स्थिति समृद्ध कर रहे हैं। जहां कृषि विज्ञान केंद्र दमोह द्वारा भ्रमण कर प्रगतिशील खेती के बारे में किसानों को विस्तार से बताया गया। साथ ही फसलों के बीजों उपरांत फसल की जमीनी हकीकत देखने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से वैज्ञानिक राजेश द्विवेदी एवं आजीविका मिशन जबेरा से ब्लॉक प्रबंधक धर्मेंद्र मिश्रा द्वारा संयुक्त रूप से इन ग्रामों का भ्रमण किया गया। जहां किसानों के द्वारा चर्चा के दौरान बताया गया की फसलों में भभूतियां रोग एवं मोजेक और इल्ली का प्रकोप देखा गया है। जिसका मुंह के पर ही फसल की किस्म का जायज लेते हुए किसानों से संवाद कर रोगों के निवारण हेतु एरेवा एवं रेलांस दवा लिख कर दी गई जो की उच्च गुणवत्ता की है और विधि अनुसार इसका उपयोग करने की सलाह दी गई। फसल की मानीटरिंग के दौरान गांव में जहां-जहां मूंग उड़द की फसले लगाई गई थी वहां वहां अब हरियाली दिखाई दे रही थी इससे अच्छा वातावरण निर्मित हो रहा था। मॉनिटरिंग के दौरान यह तथ्य निकाल कर सामने आया है कि उक्त दोनों फसलों का उत्पादन अच्छा हो रहा है। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानों द्वारा सभी किसानों से अपील की गई कि फसलों में कम से कम रासायनिक दवाइयां का उपयोग करें जिससे फसलों की गुणवत्ता अच्छी रहे। भ्रमण के दौरान पाया गया कि आजीविका मिशन के समूह जय बड़ादेव समूह,शिव समूह ,जय सेवा समूह, जिला अग्रणी समूह एवं गीता समूह आदि समूहों के द्वारा मूंग उड़द की खेती कर लाभ कमाया जा रहा है जिसकी अधिकारियों द्वारा सराहना की गई। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से जवाहर नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के मार्गदर्शन में जबेरा विकासखंड के आदिवासी समूहो परिवारों के 30 किसान मूंग और 30 किसान को उड़द के बीज प्रदान किए गए थे। योजना का उद्देश्य था कि आदिवासी परिवारों के किसानों को जायद की फसल से जोड़ने के लिए कन्वर्सेशन योजना के तहत अभिनव पहल की गई थी। वही आजीविका मिशन से ब्लॉक प्रबंधक धर्मेंद्र मिश्रा ने किसानों से अपील करते हुए कहां की हम सभी को वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए जैविक प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होना पड़ेगा जिससे लोगों को अनावश्यक बीमारियों से बचाया जा सके क्योंकि रासायनिक खादों के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं जिससे हमारी जमीन की उत्पादन क्षमता कम हो रही है। कार्यक्रम में मुड़ेरी सरपंच प्रकाश सिंह धुर्वे का सराहनीय योगदान रहा जिन्होंने विकासखंड के आदिवासी अंचलों में घूम-घूम कर अच्छे और जागरूक किसानों का इस कार्य के लिए चयन करवाया और लगातार मानीटरिंग भी कर रहे हैं।