श्रीमद्भागवत के नाम पर अवैध वसूली, तय रकम न मिलने पर गांव के समाज से बहिष्कृत करने की मिली धमकियां

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जी हां मामला बड़ा संगीन है जहा धार्मिक आयोजन के लिए परिवार को चंदे की तय रकम से कम पैसे देने के मामले में श्रीमद्भागवत कमेटी ने पूरे पैसे देने का दवाब बनाया साथ ही समाज से बहिष्कार करने की धमकी भी दे डाली।

समझ नहीं आता समाज किस दिशा में आगे बढ़ रहा है। आजकल के सामाजिक प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाने की होड़ सी मची है जहां हर समाज दूसरे समाज को अपना ऐश्वर्य दिखाकर नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है और वर्तमान में इन्होंने इसका सरल रास्ता भी निकाल लिया श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन। जिसके लिए एक मुखिया बनकर बाकी अनेकों कार्यकारी सदस्य बनाए जा रहे हैं और अपने ही समाज को लूटकर खुद को जेब भरने का धंधा बन चुका है। मुखिया का फरमान जारी होता है और मनमानी धनराशि तय कर दी जाती है और यदि कोई परिवार इनकी पिपासा पूर्ति न कर सके तो उनको समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। जिससे समाज में एक डर का माहौल है और इसी डर का श्रीमद्भागवत कमेटी फायदा उठाते आ रही है।

हैसियत से बढ़कर हो रहे आयोजन बनी लोगों की समस्या

इस मामले को देखते हुए एक सवाल हर किसी के जेहन में जरूर आएगा। की जब खुद में हैसियत नहीं है तो दूसरों के भरोसे इतने बड़े आयोजन क्यों?
खुद के दम पर वाहवाही लूटने की बजाय सामाजिक लोगों का शोषण कर फंड इकठ्ठा किया जा रहा है। यूं किसी परिवार को परेशान करके उसे समाज से बिना किसी ठोस वजह के बहिष्कृत करने जैसी धमकी देना दंडनीय अपराध है। जिस पर पुलिस को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।

चंदा राशि कम मिलने पर समाज से किया बहिष्कृत

मामला सामाजिक है पर फरमान तुगलकी। सामाजिक कार्यक्रम में यथासंभव दान की परंपरा थी और है जिसमें जबरदस्ती किसी पर दबाव डालकर समिति के नाम पर पैसे वसूली दंडनीय अपराध है। इस मामले में एक स्क्रीनशॉट भी वायरल हो रही है,जिसमें चंद्रभान सिंह के द्वारा तुगलकी फरमान जारी किया गया है जिसमें मकसूदन सिंह को लोकल महुरा समाज से बहिष्कृत किया गया और किशन सिंह,

किशन सिंह -(पीड़ित)

शरमन सिंह और आदर्श सिंह निवासी बस स्टैंड महुरा समेत 5 परिवारों को भी बहिष्कृत करने की धमकी देकर लगातार वसूली के प्रयास किए जा रहे है। 3 वर्षों से कमेटी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कर रही है और इसके लिए लोगों ने दिल खोलकर दान किया है। पर समिति ने सिर्फ खर्चों की लिस्ट सार्वजनिक की है आज तक कितना चंदा इकट्ठा हुआ इसकी जानकारी अभी भी सार्वजनिक नहीं की गई। यही वजह रही कि इस बार लोगों ने सवाल खड़े कर दिए और चंदे की राशि रोक दी।

मामला पहुंच थाने

कमेटी के निर्णय के बाद लोगों में आक्रोश है इसीलिए बहिष्कृत की धमकी मिले परिवारों ने कानून का रास्ता इख्तियार किया है। पीड़ितों ने 11 मार्च 2025 को नौरोजाबाद थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। शिकायती आवेदन में चंद्रभान सिंह,अनिल सिंह, बिहारी सिंह एवं वीरेंद्र सिंह के ऊपर दबाव बनाने और पैसे वसूलने जैसे गंभीर आरोप प्रार्थीयों ने लगाए हैं। साथ ही 10 हजार रुपए चंद्रभान सिंह के खाते में भेजे जाने की फोन पे क्लिप भी संलग्न की गई है।

जो श्रीमद्भागवत कथा में सहयोग राशि के लिए दिया गया है। बाकी के 8 हजार बाद में देने की बात पीड़ित ने कही थी। जिसके लिए लगातार उन पर पैसे के लिए दवाब बनाया जा रहा है। दबाव इतना बढ़ाया गया कि अंतःकलह की स्थिति निर्मित हो गई और मुख्य धारा के पदाधिकारियों के निर्णय अनुसार बहिष्कार जैसा फरमान थोप दिया गया। जो 5 राजपूत परिवारों के सम्मान का हनन कर उनकी प्रतिष्ठा को बट्टा लगा रही है।

हालांकि रोशन सबेरा तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है।


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