375 करोड़ के घोटाले में लिप्त नेता और नौकरशाह उलझेंगे

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अनुराग जैन की तीसरी आंख खुली, संजय शुक्ला ने दिए जांच के आदेश

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट एक बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक घोटाले का केंद्र बन कर सामने आ रहा है। बीते दिनों इनकम टैक्स विभाग ने 18 दिसंबर को 52 ठिकानों पर छापेमारी कर 375 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति जब्त की है। यह मामला अवैध जमीनों के दलाल राजेश शर्मा से निकलकर राज्य के शीर्ष अधिकारियों और नेताओं तक पहुंच चुका है। इस घोटाले में मंत्री, पूर्व मंत्री एवं विधायक और आला अधिकारियों के नाम पर जमीनों का खुलासा हुआ है। इसके साथ ही पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और उनकी पत्नी के नाम भी करोड़ों की संपत्ति जुड़ी हुई पाई गई है। उल्लेखनीय है कि इन्कम टैक्स के छापे के बाद त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के मालिक भू-माफिया राजेश शर्मा इस घोटाले के केंद्र में हैं। उनके जरिए बेशकीमती जमीनें खरीदी गईं और बड़े-बड़े नेताओं व अधिकारियों के नाम पर रजिस्ट्री कराई गई। इनकम टैक्स की उपरोक्त भू-माफिया के ठिकाने से छापेमारी में 10 करोड़ नकद, 25 लॉकर, और सोना बरामद हुआ है। राजेश शर्मा और कुणाल बिल्डर्स ने नियमों की धज्जियाँ उड़ते हुए कायदे कानून को ताक पर रखकर ग्रीन बेल्ट और लो डेंसिटी इलाकों में जमीन पर कब्जा कर यह प्रोजेक्ट खड़ा किया। लेकिन अब इस घोटाले की हाई पॉवर कमेटी जांच करेगी। ऐसा मंत्रालय के चौथी मंजिल के सूत्रों का दावा है। सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव अनुराग जैन का तीसरा नेत्र खुल गया है और उपरोक्त घोटाले में सेंट्रल पार्क हो या ग्रीन पार्क यदि नियमों के विपरीत घोटाले का हिस्सा है तो उसे मास्टर प्लान से अलग कर दिया जाएगा और जरूरी हुआ तो दोषियों को बिहाइंड द बार किया जाएगा। इस मामले में सूत्रों ने दावा किया है कि नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला ने मुख्यमंत्री की जानकारी में यह भूखण्ड घोटाला लाते हुए इसकी परत-दर परत जांच के निर्देश दे दिए हैं। जानकारी के अनुसार लो डेंसिटी एरिया में सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट के लिए 2012 से परमिशन मांगी जा रही थी, लेकिन ग्रीन बेल्ट क्षेत्र होने के कारण बार-बार इसे रद्द कर दिया गया। लेकिन फिर 2012 में राजेश शर्मा के एग्रीमेंट के बाद प्रोजेक्ट को अचानक हरी झंडी दे दी गई। इस दौरान करोड़ों रुपये के लेन-देन और नियमों की अनदेखी से इस घोटाले को अंजाम दिया गया। इस घोटाला के सामने आने के बाद कांग्रेस नेताओं की नींद खुल गई हैं और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे लेकर सरकार पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश में भाजपा का भ्रष्टाचार अब महानायक से भी बड़ा हो गया है। जहां अमिताभ बच्चन को अनुमति नहीं मिली, वहां करप्शन की धड़ाधड़ शूटिंग हो रही है। इस घोटाले की खूबी यह है कि इससे वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. यादव की सरकार का कोई संबंध नहीं है।इसलिए मुख्य सचिव अनुराग जैन ने उपयोक्त घोटाले की जांच को ंगंभीरता से लिया है। इस खुलासे के बाद सियासत गरमा गई है। विपक्ष ने इसे भाजपा राज का सबसे बड़ा घोटाला’ करार दिया है। भोपाल के सेंट्रल पार्क में जिन नेताओं और अधिकारियों की जमीनें सामने आई हैं, उनमें राज्य के शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार की झलक मिलती है। इनकम टैक्स विभाग की जांच अभी जारी है। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं। सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट अब सिर्फ एक रियल एस्टेट स्कैंडल नहीं, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बन चुका है। सूत्रों के अनुसार,नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला ने कहा कि भोपाल मास्टर प्लान 2047 की समीक्षा के दौरान इस प्रोजेक्ट को मास्टर प्लान से निरस्त कर दिया गया है। और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन जिन लोगों ने अनुमतियां दी हैं उनसे पूछा जाएगा कि नियमों के विपरीत जाकर किसके निर्देश पर ऐसा किया गया। सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव अनुराग जैन के कड़े तेवर को देखते हुए इस प्रोजेक्ट पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट को ग्रीन बेल्ट और लो डेंसिटी एरिया में डेवलप किया गया, जो भोपाल के मास्टर प्लान का सीधा उल्लंघन है। नगरीय प्रशासन के मुताबिक, ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में निर्माण कार्य पूरी तरह से प्रतिबंधित है। और यह एनजीटी कानून के अंतर्गत लो डेनसिटी एरिया में इस तरह की अनुमति भी नियमों के विपरीत है। और यह व्हाइट कालर अपराध की श्रेणी में आता है। प्रोजेक्ट के लिए राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक मिलीभगत से परमिशन दिलाई गई थी। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, जब तक पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और उनका परिवार पूर्वमुख्य मंत्री शिवराज सिंह के जमाने में पॉवरफुल रहे उनका पूरा कार्यकाल विवेचना और सीबीआई से जांच के घेरे में आ चुका है ऐसा माना जाए तो चौंकिएगा मत। लेकिन चौंकिएगा तब जब इस सेंट्रल पार्क घोटाले से कुछ बड़े नेताओं और नौकरशाहों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ जाए,

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