सरकार…विधानसभा उपाध्यक्ष ही बना दो,आसान नहीं कुर्सी की राह!

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…आखिरी उम्मीद और आखिरी कुर्सी,सबको कहीं न कहीं से मिला है आश्वासन

विधायक बनने के बाद बहुत हाथ-पैर मारे,लेकिन मंत्री नहीं बन सके। हवा कुछ ऐसी चल रही है कि अगली बार विधायक की टिकट भी शायद ही मिले, एक ही अंतिम मौका है,जो वर्तमान में हाथ में है। जबलपुर के एक-दो विधायक हैं,जो पुराने हो चुके हैं,लेकिन वो कुर्सी नहीं मिली,जिसकी ख्वाहिश दिल में लंबे समय से उबल रही थी। अब ये विधायक विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए लालायित हैं। सबको कहीं  न कहीं से आश्वासन मिला हुआ है,लेकिन दोनों के पास मंत्री न बन पाने का बुरा अनुभव भी है। बहरहाल उम्मीदें कायम हैं।

होगा या नहीं होगा, क्या होगा –

ताना-बाना कुछ ऐसा है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी मुलाकात हो चुकी है और इतने  सालों में दिल्ली में जो संपर्क बनाए थे,उनसे भी बात हो चुकी है और हर तरफ से एकदम पॉजीटिव प्रतिक्रिया आ रही है। मगर हालात ऐसे हैं कि गारंटी कोई देने तैयार नहीं है। खबर तो ये भी है कि विधायकों ने दिल्ली में संगठन के उच्च स्तर तक भी फरियाद भेजी है। इधर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की देहरी पर भी मत्था रगड़ा जा चुका है।

आसान नहीं है कुर्सी मिलना –

हालाकि, जबलपुर और महाकोशल को छोड़ दें तो पूरे प्रदेश के कई नेता हैं,जो विधानसभा उपाध्यक्ष बनने की कोशिश कर रहे हैं इसलिए प्रतिस्पर्धा कठिन हो चुकी है। हालाकि, उम्मीदें फिर भी कायम हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष बनने की तमन्ना जबलपुर जिले के नए चेहरों की नहीं है,क्योंकि उन्हें लगता है कि मंत्रिमंडल विस्तार में  तकदीर जाग सकती है,लेकिन पुराने वालों को पता है कि उनकी पारी लगभग समाप्त हो चुकी है। पूरे मध्यप्रदेश में इस दर्जे के कई विधायक हैं ,जो लंबे समय से विधायक हैं और उनका दावा विस उपाध्यक्ष की कुर्सी पर ज्यादा है।

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