ठंडे हो गये बगावत के शोले,बागियों को समझाया और थोड़ा चेताया भी,घमासान वाली सीट उत्तर विधानसभा की तस्वीर आज बदली हुई

सचमुच भाजपा के चाणक्य ही है,अमित शाह
कल तक जिले की सबसे घमासान वाली सीट उत्तर विधानसभा की तस्वीर आज बदली हुई है। जिन दिग्गजों ने सोचा था कि गलत प्रत्याशी चयन के लिये पार्टी को आईना दिखाया जाएगा,लेकिन केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने अपनी कुशल रणनीति से वो आईना ही तोड़ दिया।
राजनीति के धुरंधर भी नहीं समझ पाए कि आखिर चंद घंटों में ही शेर की तरह गरजने वाली भीगी बिल्लियों सा बर्ताव क्यों करने लगे। शनिवार को केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने सारे मोहरों को उनकी सही जगह पर बिठा दिया। कुछ मोहरों को लग रहा था कि वे अपनी जगह खुद तय करेंगे,लेकिन उनकी ये खुशफहमी रवाना हो गयी। शाह की इस करामात से उत्तर के विधानसभा प्रत्याशी अभिलाष पांडे की मुश्किलें जरूर कम हुई हैं, लेकिन राह अभी आसान नहीं है,क्योंकि शोले तो बुझ गये हैं,लेकिन चिंगारियां अभी भी सुलग रही हैं।
आखिरकार एसा क्या हुआ बंद कमरे में ?
बंद कमरे में क्या हुआ। वही हुआ जो एक राष्ट्रीय नेता और विधानसभा के बागियों और नाराज नेताओं के बीच होता है। सूत्रों का कहना है कि बगावत का झंडा बुलंद करने वाले शाह सामने कुछ नहीं बोले। खबर है कि एक बागी ने शाह के सम्मुख रोकर अपना दु:खड़ा व्यक्त किया। मजे की बात ये है कि किसी भी बागी ने अब तक नहीं बताया कि शाह से बात क्या हुई। दरअसल, जिन नेताओं को लग रहा था कि पार्टी झुकेगी,लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं सका। भाजपा के लोग खुद कह रहे हैं कि रूठे ही इसलिए थे कि मान-मनुहार हो और मान जाएं। उधर, उत्तर विधानसभा के कांग्रेस समर्थकों को जरूर झटका लगा है। बीते चुनाव की तरह मामला त्रिकोणीय होने की आशा जगी थी,लेकिन शाह ने कांंग्रेस को बुरी तरह निराश कर दिया। अब कांग्रेस को ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी और जीत के लिए नए-नए पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। हालाकि, कांग्रेसियों को अभी भी उम्मीद है कि उत्तर के भाजपा के बागी ऊपर-ऊपर ही मान गये हैं।उत्तर विधानसभा में अभी ये खुलासा होना शेष है कि बागी बगावत न करने के लिये तो राजी हो गये है,लेकिन क्या अभिलाष का वैसा ही साथ देंगे, जैसा दियाजाना चाहिए। जानकारों का कहना है कि बागी मान तो गये हैं,लेकिन अभिलाष को उनका वैसा सहयोग नहीं मिलेगा। ये जरूर है कि विरोध के स्वर नहीं उठेंगे।
वाह शाह जी कमाल की टाइमिंग –
हाल ही जबलपुर में दशहरा में पुतला दहन से ऐन पहले मेघनाद का पुतला थोड़ा सा जल गया था। कलाकार से कहा गया कि नया पुतला तैयार करे, कलाकार ने इंकार कर दिया, फिर बिना मेघनाद के ही पुतलों का दहन संपन्न हुआ। ऐसा ही कुछ कल भाजपा के शाह ने किया। शाह ने ऐसे वक्त पर बागियों को दुरुस्त किया है कि इतनी जल्दी नए बागी का इंतजाम मुश्किल हो जाएगा। सोमवार को नामांकन की अंतिम तारीख है। नया चेहरा लाने के लिए थोड़ा टाइम तो चाहिए ही मगर अब ये मौका भी छिन गया। आने वाले दिनों पर ज्यों-ज्यों प्रचार परवान चढ़ेगा, त्यों-त्यों पता चलेगा कि शाह कितने कामयाब हुये और कितने नाकाम।