बड़बोले मंत्री को बचाने मिडिया पर फोड़ रहें ठीकरा,कर्नल सोफिया पर विवादित बयान देकर फंसे विजय शाह, सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

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मुँहफट मंत्री को पार्टी उच्चधिकारीयों से रोज पड़ रही फटकार

कल भी विवादित बोल वाले मन्त्री को पड़ी थी फटकार। मध्यप्रदेश के मंत्री कुंवर विजय शाह की एफआईआर पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप एक मंत्री है और ऐसे संवेदनशील समय मे एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को सोच समझकर बोलना चाहिए। शाह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका में कहा कि मेरे बयान को गलत समझा गया, जबकि हमने इसके लिए माफी मांग ली है। मीडिया ने ओवर हाइप कर दिया है। कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए विवादित बयान का मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था. विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। शाह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इसी आदेश को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाली भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर शाह की टिप्पणियों का संज्ञान लिया था।आप किस तरह के बयान दे रहे हैं। इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति जॉर्ज ऑगस्टीन मसीह की खंडपीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए भेजा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के मंत्री शाह की जिम्मेदारी की भावना पर सवाल उठाया, जिन्होंने कथित तौर पर कर्नल कुरैशी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने महिला अधिकारी के बारे में शाह की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा, आप किस तरह के बयान दे रहे हैं। सरकार के एक जिम्मेदार मंत्री, वह भी तब जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से संयम बरतने की अपेक्षा की जाती है। मंत्री के बोले हर वाक्य में जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए।

मीडिया ने दुर्भाग्य से बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया

।वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा के जरिए शाह ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर उनके खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने 16 मई, 2025 को उनके मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई. सर्वोच्च न्यायालय ने मंत्री के वकीलों को सलाह दी कि वे उच्च न्यायालय को सूचित करें, जिसने 15 मई को मामले को सूचीबद्ध किया था। उच्च न्यायालय ने मंत्री की टिप्पणियों का स्वतः संज्ञान लिया था। मखीजा ने शीघ्र सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख में कहा कि मीडिया ने टिप्पणियों को दुर्भाग्य से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। उच्च न्यायालय में ही अपना मामला क्यों नहीं लड़ना चाहिए पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश पारित करने से पहले उच्च न्यायालय ने मंत्री को सुनवाई का अवसर नहीं दिया। उस समय, मुख्य न्यायाधीश गवई ने पूछा कि मंत्री को सीधे सर्वोच्च न्यायालय क्यों जाना चाहिए और उच्च न्यायालय में ही अपना मामला क्यों नहीं लड़ना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश गवई ने मखीजा से पूछा, कोई व्यक्ति मंत्री है, इसलिए इस पर यहां विचार किया जाना चाहिए? वरिष्ठ वकील ने कहा कि शाह ने सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त किया है और उनके पास इसकी रिकॉर्डिंग है। हाईकोर्ट ने डीजीपी को क्या दिया था आदेश? बुधवार 14 मई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक को चार घंटे के भीतर शाह के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया और अनुपालन में किसी भी देरी के मामले में अवमानना ​​कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का अपराध बनता है।

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