थैलेसीमिया जनजागरण समिति द्वारा थैलेसीमिया और सिकिलसेल पर होगा राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

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दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र,कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, इंदौर और भोपाल से आएंगे विशेषज्ञ

जबलपुर जिले में थैलेसीमिया व सिकिल सेल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला दूसरी बार आयोजित हो रही है। जिसमें संबंधित बीमारी के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा पीड़ितों को आवश्यक उपचार व बचाव के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी और इस बीमारी की रोकथाम के जरूरी उपाय बताएंगे।

थैलेसीमिया जनजागरण समिति मप्र विगत 10 वर्षों से थैलेसीमिया वा व सिकिल सेल से पीड़ितों के बेहतर उपचार के लिए उन्हें विशेषज्ञ चिकित्सकों से आवश्यक परामर्श व उपचार उपलब्ध करवाने की दिशा में कार्य करते हुए आ रही है इसी क्रम में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।इस वर्ष यह भी यह दो दिवसीय कार्यशाला वृहद रूप में 24 व 25 अगस्त 2024 को मानस भवन राइट टाउन जबलपुर में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित हो रही है। कार्यशाला में हिस्सा लेने के लिए विशेषज्ञ दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र,कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, इंदौर और भोपाल से आ रहे हैं। जिसमें जबलपुर के डॉक्टरों द्वारा भी पीड़ितों का परीक्षण कर उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य किया जाएगा। इस दौरान आम जन को इन बीमारी के विषय में जागरूक कर उनकी जिज्ञासा को दूर करने की जरूरी जानकारियां प्रदान करवाई जाएगी।

WHO द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में लगभग 10 से 15 हजार थैलेसीमिया बच्चे हर वर्ष जन्म लेते हैं, जबकि मध्य प्रदेश में इन दोनो बीमारियों से पीड़ित करीब 20 से 25 हजार हैं एवं जबलपुर में इनकी संख्या लगभग 500 के करीब है।

थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए उपलब्ध इलाज केवल बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन ही है, हालांकि इस रोग से प्रभावित सभी बच्चों के माता-पिता के लिए बीएमटी बहुत ही मुश्किल और महंगा इलाज है। इसीलिए उपचार का मुख्य स्वरूप बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन करना है, इसके बाद आयरन के अत्यधिक भार को कम करने के लिए नियमित रूप से आयरन चिलेशन थेरेपी की जाती है।

इस प्रकार की पहल करने से रुकेगी बीमारी:-

:- विवाह से पहले महिला पुरुष की HBA2 की जांच करवाए।
:- विवाह पूर्व जांच को प्रेरित करने हेतु एक स्वास्थ्य कुंडली का निर्माण किया जाए, जिसे विवाह पूर्व वर वधु को अपनी जन्म कुंडली के साथ-साथ स्वास्थ्य कुंडली का मिलान बहुत जरूरी होना चाहिए। जिसमें सबसे पहली जांच थैलेसीमिया (HBA2) की होगी, एचआईवी हेपेटाइटिस बी और सी इसके अलावा उनके खून की तुलना भी की जाएगी और खून में आर एच फैक्टर की भी जांच की जाएगी, जिससे यह बीमारी से बच सकेंगे।
:- गर्भावस्था के दौरान पहले माह में ही इसकी जांच कराएं.

सरकार से हमारी विशेष मांगे:-
:- विवाह के पूर्व वर और वधु की थैलेसीमिया HBA2 की जांच जरूरी की जाए तभी शादी के लिए मंजूरी दी जाए।
:- स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों को शासन के द्वारा यह दिशा निर्देश दिए जाएं कि उनके पास गर्भधारण से संबंधित उपचार के लिए आने वाली सभी गर्भवती महिलाओं की HBA2 की जांच ANC प्रोफाइल में दी गई जांचों की तरह अनिवार्य रूप से कराई जाए.
:- अगर फिर भी किसी कारणवश गर्भ ठहर गया है तो फिर उस नवजात भ्रूण की जांच कराई जाए अगर जांच में थैलेसीमिया मेजर के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे इस दुनिया में आने से रोका जाए।

पत्रकार वार्ता के दौरान डॉ. संजय मिश्रा, डॉ. शरद जैन, डॉ. हरजीत कौर बंसल, डॉ. पुष्पराज पटेल, नरेश ग्रोवर, विकास शुक्ला, अजय घोष, सरबजीत सिंह नारंग, पंकज सिंघई, डॉ. संजय असाठी, आशीष विश्वकर्मा, सी के ठाकुर, शैलेश जैन, मोहित दुबे, कौशल दीक्षित, राहुल तिवारी, कपिल थडानी, भीष्म सदारंगानी, अमर पटेल, विकास खंडेलवाल, श्रेया खंडेलवाल, रुद्राक्ष पाठक, प्रशांत साहू, शैलेश जैन, महेंद्र जैन, प्रशांत विनोदिया आदि उपस्थित थे।

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