जीत के मायने – सनातनियों का श्राप ले डूबा या 2024 की हेट्रिक तय !

मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ में जीत ओर तेलंगाना में बढ़ता भाजपा का कद ...
जब कुछ उम्मीद से अधिक अच्छा होता है तो समझ लीजिये ये शुभ संकेत ही तो हैं फिर भी आपकी काबलियत पर विरोधिओं की तिरछी नजर बरकरार होती है । वे कहीं ना कहीं आपको कटघरे मे खड़े करने की जद्दोजहद कर ही रहे होगें ।
ठीक एसा ही इस बार भी चार विधान सभाओं के परिणाम आने के बाद विपक्ष के मन मे कई सवाल हिचकोले ले रहें होंगे कि आखिर ये कैसी सुनामी थी जिसने जनता के सागर से भी गहरे ह्रदय को मोदी लहर के साथ बहने को मजबूर कर दिया । वे खुद को समझा नही पा रहे और ना ही समझना भी चाह रहे कि मोदी है तो सब मुमकिन हैं। तो वहीं दुसरी और कुछ लोगों को हार की इतनी बैचेनी की इनके भटकते मन मे एक बार फिर बेचारी ई वी एम मशीन को कठघरे में खड़ा कर दोषित करने की चाहत उमड़ रही हैं ।

ये पब्लिक है बाबू जो सब जानती है-
विपक्ष को इतनी बड़ी हार का मुह देखने के बाद आखिर सीख ले लेनी चाहिए कि ये पब्लिक है बाबू जो सब जानती है । क्योंकि जनता अब आदि और अंत के बीच क्या हांसिल से समझने लगी है । शायद, सबकुछ मुफ्त में हांसिल कर लेने के बाद भी अस्तित्व क्या और भविष्य में क्या रह जायेगा? ये भी जनता समझने लगी है कि, जो सत्य है सनातन है, वही अजर है अमर है और जो राजनीतिक पार्टी सत्य और सही का पक्ष लेगी जनता भी उसी के साथ देगी । वहीं सभी को समझ लेना भी चाहिए कि छल-कपट, मार – काट – कब्जा और आतंकवाद का साथ देने वाली राजनीतिक पार्टी का अब इस देश मे कोई भविष्य नहीं है।
सनातनियों का श्राप ले डूबा –
ये मैं नही कह रहा कि किसी को किसी का कोसना और श्राप देना सही है और उसका असर भी कितना घातक होगा । लेकिन क्या सच मे तीनों राज्यों मे भाजपा कि इस रिकार्ड जीत को देखकर भी क्या खा जा सकता है । मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ में हुई बम्पर जीत और तेलंगाना में बढ़ता भाजपा का कद ये साबित करता है कि ये राष्ट्र स्नातनियों की आस्था की पुण्य भूमि है । जो आदिकाल से लेकर अनंत तक स्थित रहेगी।आचार्य प्रमोद क्रष्णन जो कांग्रेसी होने के साथ साथ उसी के एक नेता के व्यक्तिगत सलाहकर भी है । वे सनातनी भी है ही पर राजनीति शौक के चलते कांग्रेस का दामन थामें हुए है । हालकी ये उनका मत है की कहाँ और किसके साथ रहना चाहिए ।बात कर रहे थे चुनावी परिणाम की ,जैसे ही नतीजे समझ आने लगे तो उन्होने मीडिया को अपना विचार बताते हुए सभी को चौका दिया । उन्होने इशारा करते हुए कहा कि,कांग्रेस अपनी इस दुर्दशा की खुद ही जिम्मेदार है । इन तीनों राज्यों मे इतनी बड़ी शिकस्त का कारण सनातनी विरोध ही है ,कांग्रेस को सनातनियों का श्राप लगा है । सनातनियों का विरोध किसी भी हद से ठीक नही ।
इस बड़ी जीत के मायने –
तीनों राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ में जीत और तेलंगाना में भाजपा का बढ़ता हुआ कद साफ और स्पष्ट करता है की भाजपा के सभी कार्यकर्ता और अधिकारियों ने समूहिकता के साथ परिश्रम किया और बड़ी जीत हासिल की है । लोगो ने भी अपनी सुझ बुझ से मतदान किया ।जनता समझ रही है कि भविष्य में देश को परम वैभव तक ले जाने के लिए किस राष्ट्र वादी पार्टी को जरूरत होगी । दूरद्रष्टता के धनी देश के प्रधान मंत्री ने अपने धन्यवाद वाले भाषण में साफ संदेश दिया है कि ये हेट्रिक आगामी चुनाव कि हेट्रिक को पूरा करने में सक्षम होगी ।
(साभार – रोशन बाथरे)