राहगीरों की जान लेने बेताब घरों से सड़क पर निकलता गंदा पानी

दिन-रात सड़क पर बह रहा पानी,जोन 09 के अधिकारी सफाई के नाम पर कर रहे ढोंग
यूं तो कागजों पर दर्ज हो रहा रोज साफ-सफाई होने का दावा । कुछ हद तक हो भी रही होगी।लेकिन यह इस दावे का एक ही पहलू है। ग्राउंड पर जाने के बाद हकीकत कुछ और दिखती है।मामला जोन क्रमांक 09 के उप मार्ग से लेकर मुख्य मार्गों से जुड़ा है। जहां कहने को तो रोज साफ –सफाई होती है । ठेकेदार अपनी 22-25 कर्मियों की टीम को साथ लेकर एक–एक जगह सफाई कराते हैं परंतु अगर देखा जाए तो ये रोजाना सफाईकर्मियों की गिनती भी केवल कागजो मे ही की जा रहीं है । द्वारकनागर वार्ड मे कुछ गिने चुने कर्मी ही पूरे वार्ड की सफाई का जिम्मा संभाले हुए है,जो आपको हर जगह दिखाई देंगे । जिससे समझा जा सकता है कि किस तरह से सफाई की जाती होगी।
साई मंदिर(गोपाल होटल) से कछियाना दुर्गा मंदिर मार्ग –
खैर बात करते है गोपाल होटल साई मंदिर से कछियाना दुर्गा मंदिर तक के उपमार्ग की । यह एक एसा मार्ग है जिसमें दोनों ओर रहने वाले रहवासी वर्षों से गंदगी मे रहने मजबूर है । मार्ग में कचरा और गंदा पानी सहित गंदगी इतनी की अन्य लोगों को पैर रखने में सोचना पड़ता है । जबकि दोनों और सिद्ध मंदिर है । जहां हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है।
गोपाल होटल चौक से झामनदास मार्ग –
ये मार्ग कांचघर से होते हुए शहर को जोड़ने वाला सबसे व्यस्ततम मुख्य मार्ग है इस पर यातायात का दबाब भी बहुत अधिक रहता है। भौगोलिक संरचना के कारण यह उत्तर-दक्षिण की तरफ ढलान और मोड़ वाला खरतनाक मार्ग भी है।अब एसे मार्ग में घरों का गंदा पानी दिन रात बहता रहता है । जिसके चलते गोपाल होटल चौक से लेकर झामनदास चौक तक हर कदम में आपको ये हालात देखने मिल जायेंगे । वहाँ हर दिन कोई न कोई राहगीर दुर्घटना का शिकार होता ही है।
टोकने की हिम्मत किसी अधिकारी में नही-
इसी मार्ग में कई स्कूल और कोचिग होने के कारण छोटे–बड़े बच्चे अपनी पढ़ाई करने जाते है। छोटे बच्चों का स्कूल भी और साथ में एक नवनिर्वाचित पार्षद का घर भी इसी मोड पर है ।हालात ये कि खतरनाक ढलान होने के बाबजूद कुछेक घरों से लगातार कई सालों से पानी बह रहा है जिससे रोड में बड़े बड़े गहरे गड्डे हो गए है ,पर महत्वपूर्ण बात ये की इसी रोड से हमारे सम्मानित नेता और जोन क्रमांक 09 के आला अधिकारी दिन में कई बार निकलते है पर लगता है कि वे आँखों में न देखने का चश्मा बांघ कर निकलते है । और शायद इन पानी बहाने वाले घरों के परिजनों को रोकने टोकने की हिम्मत किसी अधिकारी में नही तो आम नागरिकों की बात तो दूर हैं।
लोग टकटकी लगाए देख रहे व्यापारी संघ की ओर –
कहने को तो इसी मार्ग में सैकड़ों व्यापारी अपना व्यापार कर रहे है जिससे उनकी आजीविका चलती है ,परंतु उन्हे अपने व्यापार से मतलब! क्योकि शायद उन्हे लगता है कि ये काम तो सरकारी कर्मियों के पल्ले है उन्हे क्या करना ? इस मुख्य मार्ग में दो व्यापारी सगठन का प्रभाव है (पहला सामाजिक कार्यों में अग्रणी – झामनदास व्यापारी संघ और दूसरा द्वारकानगर /लालमाटी व्यापारी संघ )। ये व्यापारी ये क्यों भूल जाते है कि उसी मार्ग से उनके भगवान रूपी ग्राहक समान लेने आते जाते है इस बहते गंदे पानी और गंदगी में पैर रखने मजबूर होते है और वे खुद भी वहीं से निकलते है, तो क्या ये व्यापारी संगठन इसकी निंदा नहीं कर सकते । लोग अब प्राशसन से उम्मीद छोड़ चुके है वे तो अब केवल टकटकी लगाए देख रहे व्यापारी संघ की ओर कि शायद ये व्यापारी संघ आगे आए। वर्षी की तकलीफ से उन्हे राहत मिल सके ।