डॉ. बी.के.प्रजापति की सूझबूझ ने बचाई बच्ची के आंखो की ज्योति,

खिलोने वाली रिमोट कार की तार खेलते समय धस गई थी आंख में, वीरेंद्र शर्मा और ड्यूटी डॉक्टर की संवेदनशीलता ने निभाई अहम भूमिका
उमरिया:- 4 वर्षीय कनक सिंह मोहल्ले के कुछ बच्चों के साथ शाम को खिलौने एवम रिमोट कार के साथ खेल रही थी तभी अचानक से कार का रिमोट कनक ने अपनी ओर जोर से खींचा जिससे झटके से रिमोट में लगी हुई तार कनक की बाईं आंख में जाकर फस गया आनन फानन में परिजनों ने बच्ची की आंख में फसे हुए रिमोट सहित जिला अस्पताल लेकर गए ।जहा ड्यूटी पर उपस्थित ड्यूटी डॉक्टर ने काफी प्रयास किएबावजूद इसके तार को बच्ची की आंखों से नही निकाला जा सका, इसके उपरांत जिला अस्पताल में पदस्थ वीरेंद्र शर्मा जो कनक पड़ोसी भी है उन्होंने डॉ बी के प्रजापति से संपर्क कर उन्हे बच्ची की स्थिति से अवगत करवाया डॉ बी के प्रजापति उसी समय नसबंदी शिविर में जिला अस्पताल में ही व्यस्त थे। एवम तत्परता दिखाते हुए ओटी के समस्त स्टाफ को बुलाया एवम कुछ ही देर में बच्ची की आंखों में फसी हुई तार को बाहर निकाल दिया। ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी हमेशा से बनी हुई है, जबकि यह प्रकरण अत्यंत गंभीर था जिसमे बच्ची की आंखों को काफी खतरा था। बच्ची की आंखों को कुछ भी हो सकता था जिससे उसका पूरा जीवन अंधकारमय हो सकता था डॉ प्रजापति की सूझबूझ, तत्परता एवम संवेदनशीलता से एक मासूम बच्ची का जीवन अंधकारमय होने से बच गया ।डॉक्टर ने तत्परता का परिचय दिया और बच्चे को आंख में फसे रिमोट तार को निकाल कर बेहतरीन डॉक्टर होने का परिचय दिया।
जबकि जिले में एक भी नेत्र रोग चिकित्सक एवम नेत्र सर्जन नही है ऐसे में मरीजों को कटनी शहडोल एवम जबलपुर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है जिसमे मरीजों के परिजन के समय एवम पैसे तो खराब होते ही हैं साथ में अक्सर मरीजों की जान पर भी बन आती है लेकिन उक्त प्रकरण में डॉ प्रजापति ने जो मिसाल पेश की है
उसकी सराहना सभी लोग कर रहे हैं। इसके पहले भी डॉ. प्रजापति ने अन्य कई जटिल सर्जरी की है जो मरीजों के लिए एक नए जीवन का वरदान साबित हुई है ।