मांसाहारी प्रसाद बाँटना हिन्दुओं के प्रति के प्रति अंतराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा

हिन्दुओं पर बड़ा धार्मिक प्रहार, राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज हो:बालाजी मंदिर समिति, जबलपुर
देव स्थान दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हिन्दु तीर्थस्थलों में से एक है। ये आंधप्रदेश के सेशाचलम पवर्त पर बसा है। भगवान श्री वेंकटेशवर स्वामी के इस मंदिर का निर्माण राजा तोंडमन ने करवाया था। मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की थी।तिरुपति दर्शन करने जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को यहां का प्रसिद्ध प्रसाद में दिया जाता है। जिसे वह भगवान के द्वारा प्रदत्त अमृत मानते हैं। जिसे वह घर परिवार और कुटुम्बजनों में वितरित करते हैं।यहां रोज करीब 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। लड्डूको चने के बेसन, मक्खन, चौनी, काजू, किशमिश और इलायची से बनाया जाता है। बनाने की विधि करीब 300 साल पुरानी है। तिरुपति बालाजी की देखरेख की जिम्मेदारी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् यानी TTD की है। TTD के पास ही मंदिर के प्रसादम् यानी लड्डू बनाने की जिम्मेदारी है। 1932 से यह कार्यरत है। इस संस्था में कुल में कुल 7 सदस्य होते हैं। इसमें एक मुख्य कार्यपालिक अधिकारी (सीईओ), दो संयुक्त कार्यपालिक अधिकारी के अलावा अन्य विभागों के लिए अधिकारी होते हैं। बोर्ड में मंदिर के मुख्य पुजारी भी शामिल होते हैं। इसमें मुख्य मंदिर समेत अन्य 12 मंदिर और उनमें काम करने वाले 14 हजार कर्मचारी शामिल हैं। इस बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकार करती है।श्री तिरुपति बालाजी वेंकटेश स्वामी के भक्तगण लड्डू का स्वाद बदलने की शिकायत कर रहे थे। इस प्रकार की शिकायतों पर मुख्य कार्यपालिक अधिकारी के द्वारा एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई। उसने लड्डू के ओरीजनल स्वाद को वापस लाने के लिए कई सुझाव दिये। जिसमें प्रमुख रूप से यह सुझाव शामिल था कि लड्डू के स्वाद में घी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए उपयोग किये जाने वाले पी जांच कराना आवश्यक है। 9 जुलाई को पी के सैंपल को गुजरात के आणंद स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब में भेजा गया। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब की रिपोर्ट में इस बात को पुष्टि हुई कि लड्डू में जानवरों की चीं और मछली का तेल है। ये रिपोर्ट 12 जुलाई को TTD और राज्यप्रदेश सरकार को मिल चुकी थी, किन्तु आंध्रप्रदेश सरकार ने यह रिपोर्ट 18 सितम्बर 2024 को सार्वजनिक की है।