भारतीय संस्कृति में गुरुओं का महत्व हमेशा से उच्च रहा:मुनिश्री विरंजन सागर

मुनिश्री विरंजन सागर द्वारा विद्यार्थीयों को जैन दर्शन का कराया ज्ञान
श्रमणोपाध्याय 108 विरंजन सागर मुनिराज ने आज अपने प्रवचन शहर की नामी स्कूल एम. एम. इंटरनेशनल में दिए। जिसमें बच्चों द्वारा मुनिश्री की आगवानी स्कूल बैंड से की गई। मुनिराज ने बच्चों को आध्यत्मिक गुरू और स्कूली शिक्षकों के बारे में समज्ञाया। मुनिराज अपने प्रवचन में कहते है हमारी भारतीय संस्कृति में गुरुओं का महत्व हमेशा से उच्च रहा है।

मुनिराज ने अपने प्रवचन के माध्यम से बच्चों को समझाया कि जैन दर्शन हमेशा से जीयो और जीने दो के सिद्धांत पर काम करता है। यह वह जैन दर्शन है जिसकी आज पूरे विश्व को परम आवश्यकता है, भारत में विद्यार्थी वर्ग के बीच में हो रहे आत्मघती कदम के विषय दिगंबर मुनिराज ने प्रवचन में बच्चों को समझाया कि आज का दौर कॉपटीशन का है और इस दौर में आपके माता पिता आपको आगे बढने के लिए जोर देते है जिससे कई बच्चों में असफल होने के कारण आत्मघात जैसे कदम उठाते है जो पूर्णतः गलत है।

मुनिराज ने सभी छात्रों से कहा कि आप प्रण ले कि कितनी भी विषम परिस्थिति हो आप जीवन में ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाऐगे, एम. एम. इंटरनेशनल के प्रबंधक सुधांशु गुप्ता द्वारा विद्यार्थीयों को जैन दर्शन के बारे में जानकारी देने हेतु एक अनूठी पहल की, स्कूल प्रबंधक अपने यहाँ के छात्रों को बताना चाहते थे कि कैसे जैन साधु कैसे साधना करते है और उनकी आहार प्रक्रिया कैसे होती है, मुनिराज के प्रवचन और आहार चर्या की पूरी रूपरेखा नन्हें जैन मंदिर चार्तुमास कमेटी और एम.एम. इंटरनेशनल के प्रबंधक द्वारा की गई, जिसमें समस्त शिक्षकगण और विद्यार्थी उपस्थित थे ।