साहब हम विनय के साथ काम नहीं कर सकते, हमारा त्याग पत्र स्वीकार करें

विवादों में घिरे पाली बीआरसी के बाद करकेली बीआरसी का तांडव
रिपोर्ट:-लक्ष्मण कुशवाहा
उमरिया जिले में हुई बीआरसी और एपीसी की प्रतिनियुक्ति शुरू से विवादों में रही है, पाली विवेक मिश्रा के बाद अब करकेली बीआरसी कार्यालय में पदस्थ संविदा कर्मियों ने मोर्चा खोल दिया है और कलेक्टर के नाम पत्र देते हुए करकेली बीआरसी विनय चतुर्वेदी के साथ काम करने में असर्मथता जताई है, यहां तो कर्मियों ने त्याग पत्र स्वीकार करने तक का निवेदन कलेक्टर से किया है। करकेली बीआरसी विनय चतुर्वेदी के खिलाफ एक बार फिर उन्हीं के विभागीय कर्मचारी लामबंद होने को हैं, वह इतना परेशान हो चुके हैं कि अब हम इस विभाग में काम नही कर सकते हैं, हमें हमारे मूल विभाग भेज दिया जाये, हमें बीआरसी द्वारा आये दिन हटाने और निलंबन सहित तानाशाह पूर्ण रवैया अपनाया जाता है, जिससे हमें कार्य करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, यह कहना है जनपद शिक्षा केन्द्र करकेली के कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों का, जो दूसरे कर्मचारियों की तरह बीआरसी विनय चतुर्वेदी से हलाकान और परेशान हैं।
क्यों पड़ी ऐसी आवश्यकता
कलेक्टर को लिखित पत्र देते हुए विभागीय कर्मचारियों ने कहा है कि सरकार की नौकरी करते हैं न कि बीआरसी की, हमारा कसूर क्या है कि हमें आये दिन अपमानित होना पड़ता है, काम समय सीमा में करने के बाद भी हमें निलंबित करने की धमकी दी जाती है, यहां तक कि मानदेय एवं यात्रा देयक का भुगतान नही किया जाता है, जिनसे हम परेशान हैं और हमें हमारे मूल विभाग भेज दिया जाये। करकेली बीआरसी कार्यालय में ऐसा क्या होता है या हुआ है, जिसके कारण वहां पदस्थ कर्मियों को त्याग पत्र देने का पत्र देना पड़ रहा हो।
कलेक्टर, सीईओ जारी कर चुके हैं नोटिस
वर्तमान पाली बीआरसी विवेक मिश्रा को इन्हीं सब कारणों से वहां से हटाया जा चुका है और जांच की जा रही है, ठीक उसी प्रकार से करकेली बीआरसी विनय चतुर्वेदी का मामला है यहां भी कार्यालय के कर्मचारी विनय को लेकर संतुष्ट नहीं हैं और सभी ने सामूहिक रूप से कलेक्टर को पत्र देकर त्याग पत्र स्वीकार करने आगृह किया है। इस बात को लेकर कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत ने नोटिस जारी कर जबाब मांगा है। वहीं इसके पहले भी पूर्व कलेक्टर के डी त्रिपाठी ने आरोप पत्र जारी किया था, जिस पर आज भी कार्यवाही लंबित है। आपको बता दें कि पढ़ाने के बाद किसी को उन शिक्षकों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी जाती है तो वह अपने दायित्व को भूल कार्यालय और स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों पर दबाव बनाना शुरू कर देते हैं, जिसका उदाहरण सबके सामने है। बहरहाल अब मामला कलेक्टर के पाले में है जो अब नोटिस के बाद क्या कार्यवाही करते हैं यह देखने वाली बात होगी।