विजयवर्गीय जी…इंतेहां हो गयी भ्रष्टाचार की…!,एक खत मंत्री के नाम

नगरीय प्रशासन के जबलपुर स्थित संभागीय कार्यालय में भ्रष्टाचार की जड़ें इस कदर गहरी हो चुकी हैं कि अब काले कारनामे भी सामान्य प्रतीत होते हैं। सारी हदें पार की जा चुकी हैं और उन पदों पर भी कर्मचारी-अधिकारी तैनात किये जा रहे हैं,जो पद स्वीकृत नहीं है। ये जानकारी मप्र नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को एक पत्र के माध्यम संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशोर समरीते ने दी है। श्री समरीते ने दावा किया है यदि जांच की जाए तो वे पत्र के सारे बिन्दुओं से जुड़े साक्ष्य एवं तथ्य भी प्रस्तुत कर सकते हैं।

किशोर समरीते ने आरोप लगाया-
संयुक्त क्रांति पार्टी के किशोर समरीते ने आरोप लगाया है कि जबलपुर के कटंगा स्थित नगरीय प्रशासन के संभागीय कार्यालय में केवल अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री के पद ही स्वीकृत हैं,लेकिन यहां नियम विरुद्ध तरीके से अनुविभागीय अधिकारी एवं चार उपयंत्रियों को पदस्थ किया गया है,जो तकनीकी शाखा में काम कर रहे हैं। अनुविभागीय अधिकारी को नगरपालिका के कार्यपालन यंत्री का प्रभार दिया गया है, जो कायदे के खिलाफ है और इसमें जबर्दस्त भ्रष्टाचार भी हो रहा है। पत्र में आरोप है कि संयुक्त संचालक जबलपुर कार्यालय में बी-गे्रड के सीएमओ की नियुक्ति की गयी है,जबकि नियमों के अनुसार ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। इन सभी अवैध नियुक्तियों में बैठे अधिकारियों-कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है। पत्र में बताया गया कि इस कार्यालय के अधीक्षण यंत्री प्रदीप मिश्रा पर पांच सौ करोड़ के घोटाले का आरोप है,लेकिन अब तक जांच नहीं हुई,बल्कि इस मामले में नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव व आयुक्त की भूमिका भी संदिग्ध हो चुकी है। कई तरह के आरोप लगाए जा चुके हैं। दावा किया गया है कि यदि जांच शुरु की जाए तो प्रत्येक बिन्दु को तथ्यों के साथ प्रमाणित किया जाएगा।
फरियादी का दर्द-ए-बयान-
पत्र में जानकारी दी गयी है कि मप्र नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सैकड़ों कर्मचारी लापता हो चुके हैं और आज तक इसकी जांच नहीं की गयी। पत्र के अनुसार, लोकसेवा आयोग से चयनित 3 सौ 10 मुख्य नगर पालिका अधिकारियों की कोई खबर नहीं हैं। इनकी गुमशुदगी की जांच की जाए तो बड़ा रहस्य उजागर होगा। नगर पालिका के प्रभारी अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य,बिजली एवं डीजल के लिए 240 करोड़ के फर्जी बिलों से राशि आहरण किया गया,जिसके प्रमाण भी उपलब्ध हैं। भोपाल के मंत्रालय स्तर पर ऐसी अनेक शिकायतें धूल खा रही हैं,जिनमें फरियादी का दर्द-ए-बयान ये है कि दफ्तरों में छोटे-छोटे काम के लिए मोटी-मोटी रिश्वत मांगी जा रही है,लेकिन आज तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी है।