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एमआईसी के इस्तीफों का दौर जारी,युवाओं का कांग्रेस का साथ छोड़ना निराशाजनक

जबलपुर। शहर के प्रथम नागरिक जगत बहादुर सिंह अन्नू ने कहा कि शहर के विकास की गति को बढ़ाने के लिए उन्होंने भाजपा का दामन थामा है। उन्होंने कहा कि जब पूरे प्रदेश के शहर प्रगति कर रहे हैं, तब जबलपुर के विकास का रुकना उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि बुधवार को तेजी से घटे राजनीतिक घटनाक्रम में महापौर अन्नू ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। श्री अन्नू के इस कदम से प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है,लेकिन अन्नू का कहना है कि  शहर विकास के लिए प्रत्येक त्याग के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। वे बोले, कि अब आगे की रणनीति बनाई जाएगी और उसी के मुताबिक काम किया जाएगा।

इन एमआईसी ने दिए इस्तीफे-

सियासी घटनाक्रम के बाद एमआईसी से कांग्रेस पार्षदों ने एक के बाद इस्तीफे दे दिए। जिनमें

मनीष पटेल, अमरीश मिश्रा, एकता गुप्ता, हेमलता सिंगरौल, जितेंद्र सिंह ठाकुर, लक्ष्मी गोटिया, दिनेश तामशेतवार, शेखर सोनी, शुगफ्ता उस्मानी और गुलाम हुसैन के नाम भी शामिल हैं। हालाकि, ये पार्षद इस्तीफा नहीं देते तो भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था,क्योंकि अब नई एमआईसी का गठन किया ही जाएगा। खबर ये भ्भ्भी ये कि अगले दिनों में कुछ कांग्रेसी पार्षद भाजपा के हवाले हो जाएंगे।

समीर, एकता और अब अन्नू

सालों तक कांग्रेस की सेवा करने वाले आखिरकार ऐसी क्या वजह है,जो पार्टी का साथ छोड़कर चले गये। जगत बहादुर सिंह अन्नू पहला नाम नहीं है,इससे पहले प्रदेश प्रवक्त समीर दीक्षित ने भी कांग्रेस की कार्यशैली से दु:खी होकर अलविदा कह दिया था और अब भाजपा में सक्रिय हैं और संतुष्ट हैं। दूसरा उदाहरण भी बहुत पुराना नहीं है। कांग्रेस से सिहोरा विधानसभा की प्रत्याशी रही एकता ठाकुर ने भी  हाल ही कांग्रेस को त्याग दिया। समीर और एकता ये दो ऐसे उदाहरण हैं,जो युवा हैं और इनके सामने लंबा राजनीतिक जीवन है,जब युवा ही कांगे्रस में नहीं टिक पा रहे हैं तो पार्टी का भविष्य क्या होगा,ये अनुमान लगाना कठिन नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को रोकने के लिए कांग्रेस के संगठन की ओर से किसी तरह का प्रयास नहीं किया जाता,जो बेहद निराशाजनक है।

भाजपा को मिली ऊर्जा पर भाजपाई नाखुश!

एक ओर भाजपा के लिए अच्छा ही है कि बैठे-बिठाए महापौर मिल गया,लेकिन भाजपाईयों के चेहरे पर खुशी नहीं दिख रही है। जो जहां भी है, उदास है, नाराज है। भाजपाईयों का दर्द है कि पार्टी में नेताओं की तादाद बढ़ती जा रही है,जिससे काम्पटीशन में इजाफा हो रहा है। सबसे ज्यादा उम्रदराज भाजपाई नेता असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। भाजपाईयों का ये भी मलाल है कि अन्नू पैराशूट लैंडिंग करते हुये भाजपा के हो गये और शहर के भाजपा संगठन के पदाधिकारियों को हवा तक न लगी। कम से कम रायशुमारी तो की ही जा सकती है। उधर, कांग्रेसियों को भी कम सदमा नहीं लगा है। विधानसभा में सात सीटें हारने के बाद कम से कम ये तसल्ली तो थी कि महापौर अभी भी कांग्रेस का,लेकिन ये गुमान भी अब अन्नू के साथ ही चला गया। एमआईसी के अलावा अन्य कांग्रेसी पार्षदों की जो राजनैतिक हैसियत शहर में थी, वो भी गुरुवार की दोपहर को आधी रह गयी। आने वाले दिनों में कांग्रेसियों के बयान तीखे होने की संभावना है।

अन्नू के बाद कौन!

सियासी गलियारों में इस प्रश्न का जवाब तलाशा जा रहा है कि अन्नू के बाद वो कौन सा बड़ा नेता है,जो भाजपा में आने वाला है। एक  नाम तो लगभग तय माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि अन्नू तभी आएं हैं,जब उस बड़े नेता ने आना स्वीकार कर लिया,लेकिन टाइमिंग बदल दी गयी है। माना जा रहा है कि अन्नू का आना एक योजना का छोटा सा हिस्सा है, इसके बाद योजना के तहत कुछ बड़े नाम  भाजपा में शामिल होंगे। लोकसभा चुनाव तक ये सिलसिला चलता रहेगा।

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