पूर्णिमा के चाँद ने बिखेरी अपनी अनुपम छ्टा,दूधिया हुई भेड़ाघाट की संगमरमरी वादियां

0
Spread the love

नर्मदा महोत्सव के समापन पर बिखरे कला और संस्कृति के रंग

संगमरमरी सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात भेड़ाघाट में दो दिवसीय नर्मदा महोत्सव के समापन पर लोक नृत्यों और सूफी गायन का श्रोताओं और कला रसिकों ने जमकर लुत्फ उठाया। शरद पूर्णिमा के चंद्रमा की अमृत किरणों से नहाई भेड़ाघाट की सुरम्य वादियों का सौंदर्य भी आज प्रकृति-प्रेमियों के लिए अद्भुत नजारा पेश कर कर रहा था।

आर्मी बैंड की प्रस्‍तुतियों ने इसमें चार चांद लगा दिये।नर्मदा महोत्सव के दूसरे दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मुख्य आकर्षण चंडीगढ़ की सुप्रसिद्ध गायक सुश्री ममता जोशी सूफी गायन था। परम्परागत रूप से नर्मदा पूजन के बाद शुरू हुए दूसरे दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज जबलपुर के कत्थक नाद और नटरंग नृत्य पीठ के कलाकारों द्वारा मनमोहक लोक नृत्यों की प्रस्तुति से हुआ। इसके बाद बारी थी सेना के बैंड दल की। पहली बार नर्मदा महोत्सव में प्रस्तुति दे रहे सेना के बैंड दल द्वारा देशभक्ति गीतों पर पेश की गई धुनों ने श्रोताओं में राष्ट्रप्रेम की भावनाएं उमड़ पड़ी।कत्थक नाद समूह के कलाकारों द्वारा श्री गणेश वंदना पर प्रस्तुत कत्थक नृत्य मंच पर भारतीय नृत्य कला की संबद्धता को सुशोभित कर रहा था। जिसे लोगों ने खूब सराहा। नटरंग नृत्य पीठ की ओर से शालिनी खरे एवं साथी कलाकारों ने गोंडवाना की लोक संस्कृति से संबंधित करमा लोकनृत्य की प्रस्तुति दी। जिसने महोत्सव की शाम में चार चांद लगा दिए।

समूह द्वारा विभिन्न लोकगीतों पर प्रस्तुत यह नृत्य महाकौशल की समूची सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित कर रहा था। साथ ही समूह के कलाकारों द्वारा राधा कृष्ण लीला का मंचन भी किया गया। मंच पर नटखट कन्हैया की बाल लीलाओं को देख दर्शकों का मन सराबोर हो गया और कार्यक्रम स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। दूसरे दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अगली कड़ी में सेना के सुप्रसिद्ध ग्रेनेडियर बैंड के सूबेदार सतीश कुमार व उनके दल ने “ओ देश मेरे” गीत की प्रस्तुति के साथ सुरमयी कार्यक्रमों की श्रृंखला में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और श्रोताओं को देशभक्ति और राष्ट्र प्रेम के जज्बे से भर दिया। संगमरमर की श्वेत वादियों के बीच कल-कल बहती रेवा के तट पर आयोजित नर्मदा महोत्सव में सेना के बैंड दल की देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सेना और देश के सम्मान में भेड़ाघाट की सुरम्यवादियां श्रोताओं की करतल ध्वनियों से लंबे समय तक गूंजता रहा।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *